Nojoto: Largest Storytelling Platform

शब्दों में जूनून की इन्तेहा पंक्ति में राष्ट्रप्रे

शब्दों में जूनून की इन्तेहा पंक्ति में राष्ट्रप्रेम की धमकी रखता हूँ
पढने वालो की सांसे थम जाए लेखनी में वो खनक रखता हूँ
जुबान केशरिया हरियाली वसन शशिश्वेत अंत: करण रखता हूँ
चीर दूंगा मस्तक दो टुकड़ो में अंग-अंग में भगत सिंह रखता हूँ

©कुमार विनोद
  Dam

Dam #Shayari

171 Views