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ऎसे आँसू निकलते हैं जिस में नमी नहीं हैं... आसमान

ऎसे आँसू निकलते हैं जिस में नमी नहीं हैं...
आसमान कैसा दिया हैं जिसकी ज़मीं नहीं हैं..।

कि,इस भीड़ में तनहाई ऎसे लिपट जाती हैं...
जैसे तनहाई में भीड़ की इक कमी नहीं हैं..। नमी
ऎसे आँसू निकलते हैं जिस में नमी नहीं हैं...
आसमान कैसा दिया हैं जिसकी ज़मीं नहीं हैं..।

कि,इस भीड़ में तनहाई ऎसे लिपट जाती हैं...
जैसे तनहाई में भीड़ की इक कमी नहीं हैं..। नमी