ये कैसा मंजर बना हैं डर का चारों तरफ नफरत की हवायें चलने लगी हैं चारों तरफ मुहब्बत करने वाले कितने मासूम होते हैं उन को भी बदनाम किया हैं लोगों ने चारों तरफ ये उनकी फितरत हैं हमें अलग करने की मगर लोगों के दिलों में मुहब्बत आज भी हैं चारों तरफ बहुत कुछ कहना चाहते हैं हम उन लोगों से मगर मुझे भी लोगों ने नाकाम किया हैं चारों तरफ प्यार इश्क मुहब्बत ऐसे ही बना रहेगा हम सब में आरिफ ये बात सच हैं लोगों से कह दो चारों तरफ ।।। ये कैसा मंजर बना हैं डर का चारों तरफ नफरत की हवायें चलने लगी हैं चारों तरफ मुहब्बत करने वाले कितने मासूम होते हैं उन को भी बदनाम किया हैं लोगों ने चारों तरफ ये उनकी फितरत हैं हमें अलग करने की मगर लोगों के दिलों में मुहब्बत आज भी हैं चारों तरफ