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क्यों इतना उलझा रहीं हो क्या कसूर है मेरा जो इस

क्यों इतना उलझा रहीं हो 
क्या कसूर है मेरा जो 
इस तरहा अश्कों से भिगा रहीं हो 
उम्र की हर चाहत को तेरे लिए 
कुर्बान कर दिया 
फिर क्यों आज तुम उसी मोड़ पर ले आई
जहाँ से शुरू हुए थे...
ये जिंदगी बस तुझसे एक छोटी सी तम्मना है 
मुझे जीने की राह दिखा दे 
खुशियों संग जिंदगी बिताना सिखा दे 
तेरे एक एक पल की मोहताज़ हो गई हूँ..
ऐ जिंदगी 
अपने इश्क़ से रूबरू होना सिखा दे।।

©Hymn
  #Hope #Believe  #Life
richabajpayi3174

Hymn

New Creator

#Hope Believe Life #Poetry

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