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मयखाने में तेरे आई हूँ आज, एक जाम तो बनाकर पिला मु

मयखाने में तेरे आई हूँ आज,
एक जाम तो बनाकर पिला मुझे।
मादकता में तेरी आज,
घुल जाने दे, रंग जाने दे।
प्रेमाश्रु संग सेवन करूँगी,
तेरी मादकता का प्याला।
मस्ती तेरी रग-रग में चढ़े,
कि मदहोश सी मैं हो जाऊं।
मदीरा प्रेम की पिलाऊँ सभी को,
और प्रेम-लीन मैं भी हो जाऊं।
होशोहवास सब खो जाए,
बस एक तेरे ही मद में रहूं।
नशा चढ़े प्रेमानंद का,
और तुझ में कुछ ऐसे घुल जाऊं,
कि सुध न रहे दुनियां की,
और तेरी ही बनकर रह जाऊं। मैं दीवानों सा वेष लिए फिरता हूँ।
मैं मादकता निःशेष लिए फिरता हूँ।
~हरिवंशराय बच्चन
मयखाने में तेरे आई हूँ आज,
एक जाम तो बनाकर पिला मुझे।
मादकता में तेरी आज,
घुल जाने दे, रंग जाने दे।
प्रेमाश्रु संग सेवन करूँगी,
तेरी मादकता का प्याला।
मस्ती तेरी रग-रग में चढ़े,
कि मदहोश सी मैं हो जाऊं।
मदीरा प्रेम की पिलाऊँ सभी को,
और प्रेम-लीन मैं भी हो जाऊं।
होशोहवास सब खो जाए,
बस एक तेरे ही मद में रहूं।
नशा चढ़े प्रेमानंद का,
और तुझ में कुछ ऐसे घुल जाऊं,
कि सुध न रहे दुनियां की,
और तेरी ही बनकर रह जाऊं। मैं दीवानों सा वेष लिए फिरता हूँ।
मैं मादकता निःशेष लिए फिरता हूँ।
~हरिवंशराय बच्चन

मैं दीवानों सा वेष लिए फिरता हूँ। मैं मादकता निःशेष लिए फिरता हूँ। ~हरिवंशराय बच्चन