मज़बूर वैसे तो मेरी मजबुरियाँ ,यह करतुत कर देगी!,,,,,,सोचने को तुमको भी "मजबुर "कर देगी,,,,, मजबूरी वह वक्त होता है कि """जब हम समर्थवान होते ,हमारे पास सबकुछ होता है फिर भी हम कुछ नही कर पाते,,,, सबलता की दुर्बलता को मजबूरी कहते है,,, या जब हम समर्थ व शक्ति शाली होते उस वक्त"""मौके नही होते"""