क्यों ढूंढती हूं मैं! किसी को, किसी के आगे... क्यों उम्मीद करती हूं मैं! किसी से खुद से ज्यादा! जब-जब इस दिल ने किया औरों पर विश्वास... तब-तब ये दिल टूटकर रोया बार-बार!! #उम्मीद_कुछ_ज्यादा #मैं_और_मेरी_जिद #मेरे_अल्फाज़