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लुटेरे हर कदम मिलते कहीं रहबर नहीं मिलता । खलिश मि

लुटेरे हर कदम मिलते कहीं रहबर नहीं मिलता ।
खलिश मिलती सुकूं का तो कहीं मंजर नहीं मिलता ।
अकड़ती दम्भ से मिलतीं कई अट्टालिकाएँ पर ।
जहाँ श्रृद्धा से सिर नत हो कहीं वो दर नहीं मिलता ।

©kavi Rajan Bhadauriya #रहबर नहीं मिलता SHANU KI सरगम  Divya patle Anshu writer  Sudha Tripathi Neha Tiwari
लुटेरे हर कदम मिलते कहीं रहबर नहीं मिलता ।
खलिश मिलती सुकूं का तो कहीं मंजर नहीं मिलता ।
अकड़ती दम्भ से मिलतीं कई अट्टालिकाएँ पर ।
जहाँ श्रृद्धा से सिर नत हो कहीं वो दर नहीं मिलता ।

©kavi Rajan Bhadauriya #रहबर नहीं मिलता SHANU KI सरगम  Divya patle Anshu writer  Sudha Tripathi Neha Tiwari