लुटेरे हर कदम मिलते कहीं रहबर नहीं मिलता । खलिश मिलती सुकूं का तो कहीं मंजर नहीं मिलता । अकड़ती दम्भ से मिलतीं कई अट्टालिकाएँ पर । जहाँ श्रृद्धा से सिर नत हो कहीं वो दर नहीं मिलता । ©kavi Rajan Bhadauriya #रहबर नहीं मिलता SHANU KI सरगम Sudha Tripathi