(रमज़ान कोरा काग़ज़-१३) सुनाई दी हमें एक आहट दिल की। मिल रही है खबर इसे मंज़िल की। दूर तलक़ हैं फ़क़त कुछ वीरानियाँ, हमनें वहाँ पर फुलवारी हासिल की। नफ़रत के बाज़ार में सिर्फ दर्द मिला, हमनें ज़िंदगी में मोहब्बत शामिल की। टूट कर बिखर गए सभी तूफ़ान अभी, हमने अपनी मुट्ठी जो इस काबिल की। मिट गया हर निशां ज़ख़्म का रूह से, सजा माफ कर दी अपने कातिलों की। #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #रमज़ानकोराकाग़ज़ #kkr2022 #kkrआहटदिलकी #kkrनज़्म_ए_वेदांतिका #क़िर्तास_ए_ज़ीस्त कोरा काग़ज़