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मिरा अकेला ख़ुदा याद आ रहा है मुझे ये सोचता हुआ गि

मिरा अकेला ख़ुदा याद आ रहा है मुझे
ये सोचता हुआ गिरजा बुला रहा है मुझे

मुझे ख़बर है कि इक मुश्त-ए-ख़ाक हूँ फिर भी
तू क्या समझ के हवा में उड़ा रहा है मुझे

ये क्या तिलिस्म है क्यूँ रात भर सिसकता हूँ
वो कौन है जो दियों में जला रहा है मुझे

उसी का ध्यान है और प्यास बढ़ती जाती है
वो इक सराब कि सहरा बना रहा है मुझे

मैं आँसुओं में नहाया हुआ खड़ा हूँ अभी
जनम जनम का अंधेरा बुला रहा है मुझे

©Jashvant
  #Mera Akela khuda mujhe yaad aa raha
jashvant2251

Jashvant

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#Mera Akela khuda mujhe yaad aa raha #Life

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