ना धूप ना गरमी ना बरसात से हारा था वह बचपन मेरा कितना आवारा था ना खाने का ना जिम्मेदारियों का ठिकाना था निकल पड़ते थे जब मन आता था वो बचपन का एक ज़माना था बाप कि कमाई पे कुछ यूं इतराया करते थे होली हो दिवाली हर बार नये कपड़े लाया करते थे #NojotoQuote repeating same post coz in hindi