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भीग रहे हैं ग़म की बारिश में, बेवजह ही खुद को सताते

भीग रहे हैं ग़म की बारिश में,
बेवजह ही खुद को सताते..!

तन्हा तन्हा ज़िन्दगी है और,
पड़ रही हैं ये सर्द रातें..!

मुश्किल डगर है,
जाना है दूर बहुत..!

मंजिल की तलाश में,
दुःख से हो रही हैं मुलाक़ातें..!

आसान नहीं है ज़िन्दगी उतनी भी,
जितनी समझते थे हम..!

याद आ रही हैं अब,
पिता की कही वो सारी बातें..!

©SHIVA KANT #Winters #sardratein
भीग रहे हैं ग़म की बारिश में,
बेवजह ही खुद को सताते..!

तन्हा तन्हा ज़िन्दगी है और,
पड़ रही हैं ये सर्द रातें..!

मुश्किल डगर है,
जाना है दूर बहुत..!

मंजिल की तलाश में,
दुःख से हो रही हैं मुलाक़ातें..!

आसान नहीं है ज़िन्दगी उतनी भी,
जितनी समझते थे हम..!

याद आ रही हैं अब,
पिता की कही वो सारी बातें..!

©SHIVA KANT #Winters #sardratein