सड़क पर पड़ा पत्थर भी, बन जाता भगवान है। संस्कारों से अपरिचित भी, बन जाता इंसान है , जिनवाणी उर कण्ठ धार , बालक होता विद्वान है । जैनों की पहचान और, ये मुनियों का सम्मान है। सुधा सिंधु के दिव्य आशीष से, बना क्षेत्र ये महान है। कोई अतिशय सिद्ध क्षेत्र नहीं, ये मेरा श्रमण संस्कृति संस्थान है। #jain #ownwriting #jainism