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आज भी उसकी परछाई को महसूस करता हूँ आज भी उसकी आहट

आज भी उसकी परछाई को महसूस करता हूँ
आज भी उसकी आहट को महसूस करता हूँ
 दबे पाँव छुपके से आकर मुझसे
पीछे से उसका गले लग जाना
बालो को मस्ती से बिखरा देना
बाहों से आने वाली खुश्बू उसकी
नासिका से निकलती गर्म साँसे
मानो सीने को सूकून देती है
आज भी उसकी आहट को महसूस करता हूँ
आज भी उसकी परछाई को महसूस करता हूँ
                                -100४@B




     



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©sourabh
  #Parchhaई,,
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sourabh

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#Parchhaई,,

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