कर लो कुछ भी कितना ही तुम नहीं बदल सकते 'उनकी' सोच तुम सोच 'उनकी' जो सोचना ही छोड़ चुके सही-ग़लत का आकलन करना भूल चुके चल रहे 'किसी' के दिखाये रास्ते पर वो मंजिल को देखना वो अपनी भूल चुके कुपथ-प्रदर्शक यकीनन नक़ाबहीन होगा तब फिर सोचो किसका और क्या होगा दोष किसी को तब 'वो' कुछ दे नही सकेंगे सोच-समझ को अपनी फिर जमकर कोसेंगे कर लो कुछ भी कितना ही तुम नहीं बदल सकते 'उनकी' सोच को तुम Muनेश...Meरी✍️💫 ##yqhindiquotes #yqbesthindiquotes #yqdidi #yqbaba