गुम हो गई चांद की चांदनी रात के अंधेरों में, शायद छिप गए आसमां के सितारें बसेरों में। सिर्फ रह गया धूमिल चांद अंधेरों के साये में, सिसक रही मन चांद का चांदनी के विरह में। चंद्र के मुख पर भी उदासी के बादल छा गए, आंखो से अश्क ओंस बन जमीं पर बरस गए। चांद के माथे पर भी खुशी और गम लिखा है, अमावस में छुपा तो पूनम को संपूर्ण दिखा है। घोर अंधेरों में ही उजालें का एहसास होता है, उजाले व अंधेरे का मिलन कब साथ होता है। कुदरत का बनाया हरेक मंजर खास होता है, दिन को उजाले रात को अंधेरा राज आता है। JP lodhi 09JAN2021 ©J P Lodhi. #Darknight #Nojotowriters #poetryunpugged #Nojotonews #Nojotofilms #Nojotohindi #Nojoto #Poetry