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जैसे उसके होठों की हसीं और आँखों की नमी से था मै आ

जैसे उसके होठों की हसीं और आँखों की नमी से था मै आबाद
बहुत चाहा फिर भी अधूरा रह गया एक ख्वाब
कीमती तोहफ़े नहीं चाहिए थे उसे
अफ़सोस बस इतना है की सजा ना सका
उसके बालों पर ग़ुलाब

©Kk_upadhyay
  #बालों पर ग़ुलाब
kkupadhyay1605

Kk_upadhyay

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#बालों पर ग़ुलाब

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