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आप से ना मिलूं मैं ऐसा कोई बहाना ना रहा कुछ और

 आप से ना मिलूं मैं ऐसा कोई बहाना ना रहा
  कुछ और चार लाइन पड़ती में मेरी खुशी
 का ठिकाना ना रहा
कुछ पन्ने पढ़ कर बचपन 
की यादों में खो गई
गुड़िया गुड़िया खेल कर में 
कब इतनी बड़ीहो गई....

©rajesh bhilala
  #yaado ka safar