Unsplash रद्दी कागज़ होती जा रही है ज़िन्दगी, पुराने किसी अख़बार की तरह..! बंद पड़ा है मकान यादों का सालों से वीरान, रिश्तों में पड़ी है दीवार की तरह..! ©SHIVA KANT(Shayar) #Book #raddizindagi