हूं तो मैं आशिक़ ही पर कुछ और बेहतरीन मुझे नाम तो दीजिए। अदब की शोहरत मेरी समझ से बाहर है बेसमझी का कोई मुझे काम तो दीजिए। हिम्मत सिंह writing #thinking# Punjabi poetry# Hindi poetry# Urdu poetry# हूं तो मैं आशिक़ ही पर कुछ और बेहतरीन नाम तो दीजिए। अदब की शोहरत मेरी समझ से बाहर है, बेसमझी का कोई काम तो दीजिए। हिम्मत सिंह