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मेरी ख़्वाहिशों को भी इक जहाँ मिल जाता मैं जहाँ ठ

मेरी ख़्वाहिशों को भी इक जहाँ मिल जाता
मैं जहाँ  ठहरी रही तू अगर वहाँ मिल जाता

मुश्किल होता सफ़र या पुर ख़ार होती डगर
तू साथ होता अगर तो ग़म कहाँ मिल जाता

न खोती ही मंजिल और न भटकती  मैं राहें
तू साथ चलता तो नक़्शो-निशाँ मिल जाता

तुम मेरी भी  जानिब जो रखते अपने क़दम
चिराग़ अँधेरे को मानो  मेरी जाँ मिल जाता

नादां हो परस्तिश' कि चाह-ए-क़ल्ब की थी
इक जुगनू को कैसे पूरा आसमाँ मिल जाता

©Parastish
  पुर-ख़ार - काँटों भरी
नक़्शो-निशाँ - नक्शा, चिन्ह
जानिब - तरफ़
चाह-ए-क़ल्ब -चाँद की चाह
#parastish #Poetry #Shayari #nojotohindi
pooja7092330500628

Parastish

Silver Star
Super Creator

पुर-ख़ार - काँटों भरी नक़्शो-निशाँ - नक्शा, चिन्ह जानिब - तरफ़ चाह-ए-क़ल्ब -चाँद की चाह #parastish Poetry #Shayari #nojotohindi

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