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साथ तेरा मिले मुझको दिल चाहता है, पर जाने किन मजब

साथ तेरा मिले मुझको दिल चाहता है, 
पर जाने किन मजबूरी से पीछे रहता है ।

खुवाइशे मेरी कई दबी है वक़्क़्त में,
तेरी न रहे अधूरी कोई सोच के पीछे रहता हूँ ।

हाथो में हाथ तेरा लेकर रिमझिम सावन चाहता हूँ,
पर जाने किन मजबूरी से समर में घाव सहता हूँ ।

भीग न जाये चक्षु तेरे वक़्क़्त मेरे की आड़ में,
निज-निज नित-नित देख कदम ना आगे बढ़ाता हूँ ।

 हाँ मै भी संग तेरे चलना चाहता हूँ,
पर जाने किन मजबूरी से पीछे रहता हूँ 


                                        $रोहित सैनी$
साथ तेरा मिले मुझको दिल चाहता है, 
पर जाने किन मजबूरी से पीछे रहता है ।

खुवाइशे मेरी कई दबी है वक़्क़्त में,
तेरी न रहे अधूरी कोई सोच के पीछे रहता हूँ ।

हाथो में हाथ तेरा लेकर रिमझिम सावन चाहता हूँ,
पर जाने किन मजबूरी से समर में घाव सहता हूँ ।

भीग न जाये चक्षु तेरे वक़्क़्त मेरे की आड़ में,
निज-निज नित-नित देख कदम ना आगे बढ़ाता हूँ ।

 हाँ मै भी संग तेरे चलना चाहता हूँ,
पर जाने किन मजबूरी से पीछे रहता हूँ 


                                        $रोहित सैनी$
rohitsaini0720

Rohit Saini

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