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हमने दरख्त की छांव में बैठे बैठे एक पत्ता तोड़ लिय

हमने दरख्त की छांव में बैठे बैठे एक पत्ता तोड़ लिया
दरख्त बोला तुमसे ये उम्मीद न थी
पूंछने पर बोला ढेरों शायरी तसव्वुर कर चुके हो मुझ पर
मैंने हाथ जोड़कर माफी मांगी तो मुस्कुराकर बोला बस फिजूल मत तोड़ना
अच्छा लगा तुम्हारा गलती पर यूं हाथ जोड़ना

शायर आयुष कुमार गौतम दरख्त की छांव
हमने दरख्त की छांव में बैठे बैठे एक पत्ता तोड़ लिया
दरख्त बोला तुमसे ये उम्मीद न थी
पूंछने पर बोला ढेरों शायरी तसव्वुर कर चुके हो मुझ पर
मैंने हाथ जोड़कर माफी मांगी तो मुस्कुराकर बोला बस फिजूल मत तोड़ना
अच्छा लगा तुम्हारा गलती पर यूं हाथ जोड़ना

शायर आयुष कुमार गौतम दरख्त की छांव

दरख्त की छांव