देखों आसमां में, ईद का चाँद आया हैं साथ में अपने, रिश्तों की सौग़ात लाया हैं । ख़ुदा, ना धन से मानेगा, ना धनवान से मानेगा सच्चे दिल से जो कर्म करेगा, वो उसकी बात मानेगा । चिराग़, तुम दिलों के जलाना, काफ़िर को दूर भगाना अपनों के साथ, अब हरदिन को तुम ईदगाह बनाना । अब सारे गमों को, तुम अपनी जिंदगी से हटाना भुलाना अपने-पराये सबको, तुम सच्चे दिल से गले लगाना । खोलकर अपनी बाहें, तुम सबको गले लगाना अपने दुश्मनों को, तुम सदा के लिए भूल जाना । अपने मंसूबो को तुम, सदा नेक रखना अपनी ज़ुबा को तुम, अपने क़ाबू में रखना । ईद का चाँद तुम्हें, बस इतना बताने आया हैं, अपने गिले-शिकवे भुलाकर, सबको गले लगाना हैं । ख़ुश हो हमसब, देखकर ईद का हिलाल पोशाकें पहनकर हम, सुनहरी-सफ़ेद-लाल । इस शब-ए-रात में, तुम भुलकर कलाल न रखना दिल में कोई मलाल, फ़िर सबको कहना... । ईद मुबारक..........ईद मुबारक । talvindra_writes देखों आसमां में, ईद का चाँद आया हैं साथ में अपने, रिश्तों की सौग़ात लाया हैं । ख़ुदा, ना धन से मानेगा, ना धनवान से मानेगा सच्चे दिल से जो कर्म करेगा, वो उसकी बात मानेगा । चिराग़, तुम दिलों के जलाना, काफ़िर को दूर भगाना अपनों के साथ, अब हरदिन को तुम ईदगाह बनाना ।