पंच वर्षीय महोत्सव जब जब लोक तंत्र में पंच वर्षीय महोत्सव आते है । हाथ जोड़ जोड़ वे द्वार द्वार को जाते है । ईमानदारी की तिलक लगाने , झूठे वादों की थाली सजाए , जन दरबार में आते है , वादों का भोग चढ़ाते है । सत्ता में आते ही ,सेवक शासक बन जाते है । आधार को भूल जाते है वे , किरदार को भूल जाते है । भलाई को भूल जाते है वे, मलाई का आंनद उठाते है । ©Krishna ka kavya पंच वर्षीय महोत्सव ... #ELECTION_RESULTS_2019