इश्क़ का आखिरी यही अंजाम होते देखा है अक्सर खुली आंखों से उन्हें रोते देखा है। जो नाज़ किया करते थे अपने महबूब पर कभी उस महबूब को कमबख्त उन्हें खोते देखा है। ©शून्य(ब्राह्मण) #WoRaat #Shayari