सुकून बाहों में तेरी था बड़ा तुझे जल्दी जाने का क्या था पड़ा अब देख नतीजा दुनिया का तू मेरी नहीं मैं तेरा नहीं वो मौसम आने जाने लगे मगर तेरी कोई खबर नहीं तू मिलने आया करती थी मैं बैठा हूं उस पनघट में तू झूठ नहीं कहना साथी क्या तुझे भी मेरी याद आती है जिस झरोखे से झांकती थी चुप चुप के अब मैं वहां तेरी एक झलक को तरसता हूं तू मिलने आया करती थी मैं उस पनघट पर बैठा हूं झरोखा