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विचार करता, मेरे देश का मंत्रालय, असम बाढ़ के नियं

विचार करता,
मेरे देश का मंत्रालय,
असम बाढ़ के नियंत्रण का,
अगर बात होती दिल्ली या असम के सिंहासन का,

कोई नया नहीं हैं यह त्रासदी,
हर वर्ष यही तो खेल हैं,
प्राकृति की माया के आगे,
     राष्ट्र प्रशासन, शासन फेल हैं,


मौत का मंजर हैं वहां पर,
लेकिन ख्याल किसी को कहा आता हैं,

होता गर चुनाव तो,
बाढ़ क्या चीज हैं, भूकंप,तूफ़ान तक रुक जाता हैं,



लाखों आम  जन बेघर हो गए,
वो तो प्रधान सेवक जन महलों में सो रहे हैं,

भूख से हाहाकार मची हैं,

मरती जनता को ही वो भी नोच रहे हैं,
देखा था कुछ समय पहले,

रैली में राजनेता के,
खबर थीं बरसात की,
प्रशासन ने बरसात को रोक दिया,

ख़ैर,

बेवकूफ हम जनता ही हैं,
अपने हक की आवाज़ कहा किससे उठ पाती हैं,

थोड़े दिन ही है, यह तबाही कहकर जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेते है,


मतदाता हैं हम,
लेकिन कर्तव्य सिर्फ़ इतना मान रखा हैं,
वोट देना अधिकार है आम जन का,
लेकिन आम जन की यह सरकार नहीं,

कौन सुनेगा असम, बिहार की चीख को,
कौन इन्हें न्याय दिलवाएगा,
स्वीकार, करता हूं भूल अपनी,
लेकिन फ़िर भी मै कुछ नहीं कर सकता हूं....!!

 विचार करता,
मेरे देश का मंत्रालय,
असम बाढ़ के नियंत्रण का,
अगर बात होती दिल्ली या असम के सिंहासन का,

कोई नया नहीं हैं यह त्रासदी,
हर वर्ष यही तो खेल हैं,
प्राकृति की माया के आगे,
विचार करता,
मेरे देश का मंत्रालय,
असम बाढ़ के नियंत्रण का,
अगर बात होती दिल्ली या असम के सिंहासन का,

कोई नया नहीं हैं यह त्रासदी,
हर वर्ष यही तो खेल हैं,
प्राकृति की माया के आगे,
     राष्ट्र प्रशासन, शासन फेल हैं,


मौत का मंजर हैं वहां पर,
लेकिन ख्याल किसी को कहा आता हैं,

होता गर चुनाव तो,
बाढ़ क्या चीज हैं, भूकंप,तूफ़ान तक रुक जाता हैं,



लाखों आम  जन बेघर हो गए,
वो तो प्रधान सेवक जन महलों में सो रहे हैं,

भूख से हाहाकार मची हैं,

मरती जनता को ही वो भी नोच रहे हैं,
देखा था कुछ समय पहले,

रैली में राजनेता के,
खबर थीं बरसात की,
प्रशासन ने बरसात को रोक दिया,

ख़ैर,

बेवकूफ हम जनता ही हैं,
अपने हक की आवाज़ कहा किससे उठ पाती हैं,

थोड़े दिन ही है, यह तबाही कहकर जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेते है,


मतदाता हैं हम,
लेकिन कर्तव्य सिर्फ़ इतना मान रखा हैं,
वोट देना अधिकार है आम जन का,
लेकिन आम जन की यह सरकार नहीं,

कौन सुनेगा असम, बिहार की चीख को,
कौन इन्हें न्याय दिलवाएगा,
स्वीकार, करता हूं भूल अपनी,
लेकिन फ़िर भी मै कुछ नहीं कर सकता हूं....!!

 विचार करता,
मेरे देश का मंत्रालय,
असम बाढ़ के नियंत्रण का,
अगर बात होती दिल्ली या असम के सिंहासन का,

कोई नया नहीं हैं यह त्रासदी,
हर वर्ष यही तो खेल हैं,
प्राकृति की माया के आगे,

विचार करता, मेरे देश का मंत्रालय, असम बाढ़ के नियंत्रण का, अगर बात होती दिल्ली या असम के सिंहासन का, कोई नया नहीं हैं यह त्रासदी, हर वर्ष यही तो खेल हैं, प्राकृति की माया के आगे,