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तेरी कश्ती संग मेरी हस्ती भी संवरने लगी। छू कर ग

तेरी कश्ती संग 
मेरी हस्ती भी संवरने लगी।

छू कर गुजरी जब हवाएं तुझे
तो फिजाएं महकने लगी।

ये तेरी रहमतों का ही असर है कान्हा
मेरी जिंदगी  संवरने लगी।
written by : 
।                    सुनीता निमिष सिंह महिमा
written by 
Sunita Nimish Singh
तेरी कश्ती संग 
मेरी हस्ती भी संवरने लगी।

छू कर गुजरी जब हवाएं तुझे
तो फिजाएं महकने लगी।

ये तेरी रहमतों का ही असर है कान्हा
मेरी जिंदगी  संवरने लगी।
written by : 
।                    सुनीता निमिष सिंह महिमा
written by 
Sunita Nimish Singh