मुहौबत सज़ा है रिहाई नहीं है अगर है किसी ने निभाई नहीं है कहाँ से हो हासिल मज़ा-ए-मुहौबत मुहौबत में तेरी जुदाई नहीं है ज़हर है नशा है तबाही यही है मुहौबत मगर बेवफ़ाई नहीं है चुराया नहीं है सुकूं दिल से मेरे कि आँखों से नींदे चुराई नहीं है मुहौबत सभी के ज़बां पे लिखी है मुहौबत किसी को भी आई नहीं है सदा आशिक़ो को सताती है दुनिया यहाँ आशिक़ों की भलाई नहीं है बुरी आशिक़ी है ज़माना बुरा है मगर दिल्लगी में बुराई नहीं है कि 'सैफ़ी' अहद-ओ-वफ़ा की कहानी रक़म है जिगर पे भुलाई नहीं है 122 122 122 122 💔