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महक उठती है तन्हाई कभी अपने ही आंगन मे जहाँ बसती

महक उठती है तन्हाई 
कभी अपने ही आंगन मे
जहाँ बसती है वो बचपन की
सर्द रातो मे माँ के आंचल की वो
प्यारी सी बाहों की गरमाई ।।

महक उठती है तन्हाई फिर
यादो के किनारो पर बसर करते उन 
तमाम अनकहे ज़ज्बातो मे 
जो अब भी ना कह सके 
हम उनसे
बस दफ्न है कही मेरे दिल मे अब भी ।।।

महक उठती है तन्हाई 
तेरे होकर भी ना होने मे ,
वो खामोशी से गुजरती शब मे तो
वो तन्हा सी दोपहर मे ।।।

महक उठती है अब तन्हाई 
अश्क़ो को पी,फिर मुस्कुराने मे ।
कभी तेरा हस कर, हमे रुलाने मे , 
कभी मेरा रोकर, तुम्हे हसाने मे ।।।।

हाँ महक उठती है मेरी ये तन्हाई 
अब अपने ही आंगन मे …… #NojotoQuote वक़्त के मौजू मे हर गम बह गया ।। बस कुछ जुदाई की अब भी कही बाकी सी है ।।।।
#nojoto #nojotohindi #poetry #tanhaai
महक उठती है तन्हाई 
कभी अपने ही आंगन मे
जहाँ बसती है वो बचपन की
सर्द रातो मे माँ के आंचल की वो
प्यारी सी बाहों की गरमाई ।।

महक उठती है तन्हाई फिर
यादो के किनारो पर बसर करते उन 
तमाम अनकहे ज़ज्बातो मे 
जो अब भी ना कह सके 
हम उनसे
बस दफ्न है कही मेरे दिल मे अब भी ।।।

महक उठती है तन्हाई 
तेरे होकर भी ना होने मे ,
वो खामोशी से गुजरती शब मे तो
वो तन्हा सी दोपहर मे ।।।

महक उठती है अब तन्हाई 
अश्क़ो को पी,फिर मुस्कुराने मे ।
कभी तेरा हस कर, हमे रुलाने मे , 
कभी मेरा रोकर, तुम्हे हसाने मे ।।।।

हाँ महक उठती है मेरी ये तन्हाई 
अब अपने ही आंगन मे …… #NojotoQuote वक़्त के मौजू मे हर गम बह गया ।। बस कुछ जुदाई की अब भी कही बाकी सी है ।।।।
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