पल्लव की डायरी हँसी खुशी और खेलकूद से मस्ती में हम सब जीते थे बे परवाह होकर जिम्मेदारी से बचते फेमली में आनन्द से रहते थे दादा दादी ताऊ चाचा सब के चेहते हम अपनी जिज्ञासा का समाधान करते थे जरूरत के समय पापा नही डिमांडे दादा दादी से पूरी करते थे नही डरे हम कही पर भी रौब फेमली के बल पर स्कूल और मोहल्लों में रखते थे मगर आज नैनो परिवार डर के साये में रहते है चिड़चिड़े मन बच्चों के रहते दब्बू पन में जीते है घर से बहार निकले नही माँ बाप चिंताओं में रहते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Internationalfamilyday दादा दादी सबके चेहते हम