बादलों का खेल कितना निराला है, धरती को छूने उतरी चंचला की धारा है, नीले गगन में दूधिया रोशनी का ये खेल सारा है, मौसम कितना प्यारा है क्या खूब नज़ारा है, वर्षा की बूँद कूदती धरा पे बनती धारा है, भर देती तन मन, लगता कितना प्यारा है, अंबर की होती गोद सूनी, होता कितना सारा है, मौसम कितना प्यारा है, क्या खूब नज़ारा है, अंबर से उतरा जैसे स्वर्ग का कोई सितारा है, रंगों की छटा निराली सतरंगी इंद्रधनुष हमारा है, लगता इस मौसम में, निहित जीवन सारा है, मौसम कितना प्यारा है क्या खूब नज़ारा है........ दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #बादलों का खेल कितना निराला है, धरती को छूने उतरी चंचला की धारा है, नीले गगन में दूधिया रोशनी का ये खेल सारा है, मौसम कितना प्यारा है क्या खूब नज़ारा है, वर्षा की बूँद कूदती धरा पे बनती धारा है, भर देती तन मन, लगता कितना प्यारा है, अंबर की होती गोद सूनी, होता कितना सारा है,