यूँ तो इस जिस्म के हर नस में तुम समाई हो फिर भी बेचैन निग़ाहों को तलाश है तेरी कभी इस घर के किसी कमरे में ढूँढता हूँ तुम्हें कभी सीढ़ियों से उतरते हुए सोचता हूँ तुम्हें बैठकर छत पे कभी तन्हा मैं सिसकता हूँ तुम नहीं होती हो फिर भी मैं देखता हूँ तुम्हें तेरे पैरों के निशां कमरों से समेटता हूँ मैं इन हवाओं से तेरी खुशबू माँगता हूँ मैं ज़िन्दगी मेरी ज़र्रे ज़र्रे में जैसे बिखरी है इन्हीं ज़र्रों से खुशियों की कुछ लकीरें ढूँढता हूँ मैं...... #तलाश #yqbaba #yqdidi #yqhindinazm