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यूँ तो इस जिस्म के हर नस में तुम समाई हो फिर भी

यूँ तो 
इस जिस्म के 
हर नस में 
तुम समाई हो
फिर भी बेचैन निग़ाहों को 
तलाश है तेरी 
कभी इस घर के किसी कमरे में 
ढूँढता हूँ तुम्हें 
कभी सीढ़ियों से उतरते हुए 
सोचता हूँ तुम्हें 
बैठकर छत पे कभी 
तन्हा मैं सिसकता हूँ 
तुम नहीं होती हो फिर भी 
मैं देखता हूँ तुम्हें 
तेरे पैरों के निशां 
कमरों से समेटता हूँ मैं 
इन हवाओं से 
तेरी खुशबू माँगता हूँ मैं 
ज़िन्दगी मेरी ज़र्रे ज़र्रे में 
जैसे बिखरी है 
इन्हीं ज़र्रों से 
खुशियों की कुछ लकीरें 
ढूँढता हूँ मैं...... #तलाश #yqbaba #yqdidi #yqhindinazm
यूँ तो 
इस जिस्म के 
हर नस में 
तुम समाई हो
फिर भी बेचैन निग़ाहों को 
तलाश है तेरी 
कभी इस घर के किसी कमरे में 
ढूँढता हूँ तुम्हें 
कभी सीढ़ियों से उतरते हुए 
सोचता हूँ तुम्हें 
बैठकर छत पे कभी 
तन्हा मैं सिसकता हूँ 
तुम नहीं होती हो फिर भी 
मैं देखता हूँ तुम्हें 
तेरे पैरों के निशां 
कमरों से समेटता हूँ मैं 
इन हवाओं से 
तेरी खुशबू माँगता हूँ मैं 
ज़िन्दगी मेरी ज़र्रे ज़र्रे में 
जैसे बिखरी है 
इन्हीं ज़र्रों से 
खुशियों की कुछ लकीरें 
ढूँढता हूँ मैं...... #तलाश #yqbaba #yqdidi #yqhindinazm
gautamanand4109

Gautam_Anand

Bronze Star
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