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मन्द मन्द मैं मुस्कुरा रही थी, गालों की लालिमा बढ

मन्द मन्द मैं मुस्कुरा रही थी, 
गालों की लालिमा बढ़ती जा रही थी, 
सोचने के इस दरमियान,
पलकों ने आंखों पर पहरा लगा दिया,
मन भी किसी के ख्यालों में खोये जाने लगा,
मानो खुशी के मारे,
मैं नीले मस्त गगन में उड़ती जा रही थी, 
उड़ती जा रही थी, 
पंख फैलाये बस और ऊँचा, उड़ती जा रही थी, 
उड़ती जा रही थी, 
उड़ती जा रही थी, 
अचानक, 
.
.
.
अचानक सुबह अलार्म बज पड़ा, 
और मैंने खुद को पलंग से नीचे,
जमीन पर खुद को पड़ा पाया.... 


 #209thquote
#yourquotedidi
#yourquote 
#yourquotebaba 
#yourquotes 
#aestheticthoughts 
#restzone
मन्द मन्द मैं मुस्कुरा रही थी, 
गालों की लालिमा बढ़ती जा रही थी, 
सोचने के इस दरमियान,
पलकों ने आंखों पर पहरा लगा दिया,
मन भी किसी के ख्यालों में खोये जाने लगा,
मानो खुशी के मारे,
मैं नीले मस्त गगन में उड़ती जा रही थी, 
उड़ती जा रही थी, 
पंख फैलाये बस और ऊँचा, उड़ती जा रही थी, 
उड़ती जा रही थी, 
उड़ती जा रही थी, 
अचानक, 
.
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अचानक सुबह अलार्म बज पड़ा, 
और मैंने खुद को पलंग से नीचे,
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