लम्हा पानी की हर एक बूंद का ज़मी को छूना। छूते ही ज़मी के रोम रोम का खिलना।।।।।।। समझ नही आता ये उस पानी की मोहोब्त है या उस जमी का दीवाना पन।।।।।।।