बहुत तकलीफ़ देती हैं मुझे अनदेखी तेरी क्या ग़लती हुईं मुझसे जो बना ली इतनी दूरी ये मौसम की मनमानी हैं या तेरी याद हैं अब्र की तरह बारिश हो रही आँखों से मेरी बहुत गरूर हुआ था मुझे तेरा होने का आँख खुली तो ज़मीन तक न रही मेरी सारे पन्ने बिखर बिखर गए मेरी इश्क़ किताब के समेट के देखा तो लब्ज़ मेरे थे, ख्यालात थी तेरी खाख होना तो तय था मोहब्बत में मेरा इमदाद करने वाला शामिल था बर्बादी में मेरी तुम कभी तबसरा न करना मेरी इबादत का ख़ुदा भी रंज करता हैं मोहब्बत पे मेरी अब्र - बदल ,, इमदाद - मदद ,, तबसरा - समीक्षा #Nojotonews#nojotoapp