वादे अफ़सोस नहीं अब तुम्हें, अपने दिए उन वादों का, जिन्हें पल भर न लगा तोड़ दिया, बिना किसी बातों का। क्या समझा था मैंने तुझे, पर किसे पता था, न कोई मान तुम्हें अपने उन यारों का।। अफ़सोस नहीं अब मुझे, मेरी कही इन बातों का, जो दिल तोड़ तुने किया, सोचा न था ऐसे यारों का। यूँ तो कहते अब तुम्हारे कोई साथ नहीं, पर मैं कहती अब तुममें वैसी कोई बात नहीं।। अफ़सोस नहीं अब, कोई अफ़सोस नहीं ।। 'zayesa #Afsos_nahi_ab_koi_afsos_nahi