इक उम्र कटती रही मेरे साथ-साथ और मैं ख़ुद को सँवारता रहा धोखे में ख़ुद को रखकर शीशे में ख़ुद को निहारता रहा, जाने कब कहाँ जिंदगी थम जाएगी मालूम नहीं और मैं ख़ुद को लेकर रोज इधर उधर भागता रहा कितनी अजीब है ये जिंदगी की दौड़ भी ख़ुद को आगे रखने के लिए सबको पीछे छोड़ता रहा, जिन लम्हों को मैं सारी उम्र समेटता रहा उसे जीने के वक़्त मालूम नहीं मैं कहाँ रहा कितनी बड़ी ये विडम्बना है ज़िन्दगी की भी जिस वक़्त मुझे ख़ुद के साथ होना था उस वक़्त मैं ख़ुद से ही भागता रहा, जाने क्या होगा आगे इस सोच में मैं अभी को भूलता रहा लोगों की सुन जीने की इक नई तरक़ीब निकाली और मैं ख़ुद को नज़रअंदाज़ कर ख़ुद को बिखेरता रहा !! पूरा पढ़ें 🙏 Use #abkahnedo #abkahnedo #nojoto #nojo #hindi #hindishayri #poetry