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मित्रों इसमें कोई शक नहीं है कि जीवन में दुःख न हो

मित्रों इसमें कोई शक नहीं है कि जीवन में दुःख न हो तो शुख का अनुभव ही न हो...
मैंने देखा वह महसूस भी किया है कि जो कुछ लोगों के लिए बहुत मामूली सी बात है वही एक आम व्यक्ति के लिए कितना ख़ास होता हैं।
 यह सिर्फ अनुभव ही किया जा सकता है।
 जैसे एक हमारे मित्र थे जब मैं पहली बार उनसे मिला था और उन्होंने एक पुरानी Royal Enfield बुलेट खरीदा था उनके चहरे पर मैंने जो खुशी देखी वह तो मैंने कभी एहसास ही नहीं किया था।
 ऐसे ही हमारे एक मित्र और थे।
हमको एक आवश्यक कार्य के लिए दिल्ली जाना था मैंने अपने मित्र से कहा भाई कल हमको दिल्ली जाना है सुबह चलेंगे और वही कनाॅट प्लेस के पास ही हमारी एक बैठक हैं उसके बाद रात को ही हम लोग वापस आजायेंगे वह तैयार हो गया हमारी ट्रेन लखनऊ से रात 10:30 बजे की थी।
वह हमारा मित्र पूरी रात सोया ही नही इतना प्रफुल्लित था कि उसकी खुशी देख कर हमको बहुत अच्छा लगा ऐसे बहुत उदहारण हैं।
अब हम कुछ सामाजिक और राजनीतिक उदहारण देते हैं।
आप लोगों ने एक R.S.S. प्रमुख मोहन भागवत जी का बयान सुना होगा । 
""मुसलमानों के बिना हिन्दू या हिंदुत्व अधूरा है"" 
इस बात पर देश भर में खूब चर्चा हुई कि मोहन भागवत जी ने ऐसा कैसे कह दिया ,,,
 यह चर्चा R.S.S. से लेकर बीजेपी तक में हो रही थी।
लेकिन हम उनके इस बयान से सहमत थे और आज भी है।
अगर मुस्लिम कट्टर न होते तो क्या हिन्दू कभी कट्टर हो पाते।
याद करिए।
भारत में पहला मुस्लिम हमला 712 ई• में मो•बिलकासिम ने किया था उसके बाद हिन्द के राजाओं ने ईरान से लेकर अरब तक रौंद दिया था।
परन्तु अफसोस कि इस वीर गाथा को इतिहास में जगह नहीं मिली, बिलकासिम के बाद सीधे ग़जनी और गौरी पर इतिहास छलांग लगाता हैं लेकिन यह नहीं बताता की 712 ई• में हुए हमले का प्रतिकार इतना बड़ा हुआ था कि उस वक्त पूरा अरब कांप गया था।
उसके बाद 300 वर्षों तक किसी भी विदेशी आक्रांताओं की हिम्मत नहीं हुई कि वह भारत की तरफ नज़र उठा कर देख भी ले।
हम जब-जब जातियों व क्षेत्र में बटे हैं तब-तब कटे हैं यह इतिहास गवाह है।
भारत में पहले ""मुस्लिम लीग"" बनी
 तब जाकर ""हिन्दुमहासभा"" बनी,
पहले ""तब्लीगी जमात"" बनी तब जाकर ""R.S.S."" बना,
पहले अलीगढ़ में ""अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय"" बना
 तब जाकर वाराणसी में ""काशी हिन्दू विश्वविद्यालय"" बना।
हम एक हजार वर्ष की बात करें तो कौन था यहाँ पर सिर्फ हम सनातनी (हिन्दू) ही तो थे।
आज राम मंदिर बन रहा है सभी खुश है इसके लिए कम जाने गई लाखो लोगो ने अपने प्राण निछावर किये हैं लेकिन समय की धूल ने हमको भुला दिया और हिन्दू सो गया।
अगर मुलायम सिंह यादव अयोध्या में कार्यसेवको पर गोली ना चलवाये होते तो क्या यह सोया हिन्दू जाग पाता...???
जैसे हमको सुख के एहसास होने के लिए दुःख जरूरी हैं
 वैसे ही हिन्दू एकता के लिए ""मुसलमान"" भी जरूरी हैं इस देश में जब-जब ""रावण"" पैदा होगा तब-तब ""राम"" भी जरूर पैदा होंगे।
जब-जब ""जिन्ना"" पैदा होगा तब-तब ""वीर सावरकर"" पैदा होते रहेंगे,
जब-जब ""गांधी"" पैदा होंगे तब-तब ""गोडसे"" भी पैदा होंगे।
देवता और राक्षसों का युद्ध वर्षों का है और चलता रहेगा।
आपको निर्णय लेना है कि आप किसका साथ देते हैं। 
इसीलिए देश के लिए जितने जरूरी ""हिंदू"" हैं उतने ही जरूरी ""मुसलमान"" भी।
जितना लोग मोदी जी का विरोध करेंगे उतना मोदी जी मजबूत होंगे।
वरना हिन्दू तो पहले भी बिखरा हुआ था आज भी बिखरा ही है...
@ianilraj01
""लेखक:- चौधरी अनिल कुमार राज(प्रिंस राज)"" #श्रीraj
#ianilraj01
#Team_2026
#Mission_2026
#श्रीraj4Nation
#terekurbans 
#RoyalChoudhry 
#Samaaj_Ka_KarYkarta
मित्रों इसमें कोई शक नहीं है कि जीवन में दुःख न हो तो शुख का अनुभव ही न हो...
मैंने देखा वह महसूस भी किया है कि जो कुछ लोगों के लिए बहुत मामूली सी बात है वही एक आम व्यक्ति के लिए कितना ख़ास होता हैं।
 यह सिर्फ अनुभव ही किया जा सकता है।
 जैसे एक हमारे मित्र थे जब मैं पहली बार उनसे मिला था और उन्होंने एक पुरानी Royal Enfield बुलेट खरीदा था उनके चहरे पर मैंने जो खुशी देखी वह तो मैंने कभी एहसास ही नहीं किया था।
 ऐसे ही हमारे एक मित्र और थे।
हमको एक आवश्यक कार्य के लिए दिल्ली जाना था मैंने अपने मित्र से कहा भाई कल हमको दिल्ली जाना है सुबह चलेंगे और वही कनाॅट प्लेस के पास ही हमारी एक बैठक हैं उसके बाद रात को ही हम लोग वापस आजायेंगे वह तैयार हो गया हमारी ट्रेन लखनऊ से रात 10:30 बजे की थी।
वह हमारा मित्र पूरी रात सोया ही नही इतना प्रफुल्लित था कि उसकी खुशी देख कर हमको बहुत अच्छा लगा ऐसे बहुत उदहारण हैं।
अब हम कुछ सामाजिक और राजनीतिक उदहारण देते हैं।
आप लोगों ने एक R.S.S. प्रमुख मोहन भागवत जी का बयान सुना होगा । 
""मुसलमानों के बिना हिन्दू या हिंदुत्व अधूरा है"" 
इस बात पर देश भर में खूब चर्चा हुई कि मोहन भागवत जी ने ऐसा कैसे कह दिया ,,,
 यह चर्चा R.S.S. से लेकर बीजेपी तक में हो रही थी।
लेकिन हम उनके इस बयान से सहमत थे और आज भी है।
अगर मुस्लिम कट्टर न होते तो क्या हिन्दू कभी कट्टर हो पाते।
याद करिए।
भारत में पहला मुस्लिम हमला 712 ई• में मो•बिलकासिम ने किया था उसके बाद हिन्द के राजाओं ने ईरान से लेकर अरब तक रौंद दिया था।
परन्तु अफसोस कि इस वीर गाथा को इतिहास में जगह नहीं मिली, बिलकासिम के बाद सीधे ग़जनी और गौरी पर इतिहास छलांग लगाता हैं लेकिन यह नहीं बताता की 712 ई• में हुए हमले का प्रतिकार इतना बड़ा हुआ था कि उस वक्त पूरा अरब कांप गया था।
उसके बाद 300 वर्षों तक किसी भी विदेशी आक्रांताओं की हिम्मत नहीं हुई कि वह भारत की तरफ नज़र उठा कर देख भी ले।
हम जब-जब जातियों व क्षेत्र में बटे हैं तब-तब कटे हैं यह इतिहास गवाह है।
भारत में पहले ""मुस्लिम लीग"" बनी
 तब जाकर ""हिन्दुमहासभा"" बनी,
पहले ""तब्लीगी जमात"" बनी तब जाकर ""R.S.S."" बना,
पहले अलीगढ़ में ""अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय"" बना
 तब जाकर वाराणसी में ""काशी हिन्दू विश्वविद्यालय"" बना।
हम एक हजार वर्ष की बात करें तो कौन था यहाँ पर सिर्फ हम सनातनी (हिन्दू) ही तो थे।
आज राम मंदिर बन रहा है सभी खुश है इसके लिए कम जाने गई लाखो लोगो ने अपने प्राण निछावर किये हैं लेकिन समय की धूल ने हमको भुला दिया और हिन्दू सो गया।
अगर मुलायम सिंह यादव अयोध्या में कार्यसेवको पर गोली ना चलवाये होते तो क्या यह सोया हिन्दू जाग पाता...???
जैसे हमको सुख के एहसास होने के लिए दुःख जरूरी हैं
 वैसे ही हिन्दू एकता के लिए ""मुसलमान"" भी जरूरी हैं इस देश में जब-जब ""रावण"" पैदा होगा तब-तब ""राम"" भी जरूर पैदा होंगे।
जब-जब ""जिन्ना"" पैदा होगा तब-तब ""वीर सावरकर"" पैदा होते रहेंगे,
जब-जब ""गांधी"" पैदा होंगे तब-तब ""गोडसे"" भी पैदा होंगे।
देवता और राक्षसों का युद्ध वर्षों का है और चलता रहेगा।
आपको निर्णय लेना है कि आप किसका साथ देते हैं। 
इसीलिए देश के लिए जितने जरूरी ""हिंदू"" हैं उतने ही जरूरी ""मुसलमान"" भी।
जितना लोग मोदी जी का विरोध करेंगे उतना मोदी जी मजबूत होंगे।
वरना हिन्दू तो पहले भी बिखरा हुआ था आज भी बिखरा ही है...
@ianilraj01
""लेखक:- चौधरी अनिल कुमार राज(प्रिंस राज)"" #श्रीraj
#ianilraj01
#Team_2026
#Mission_2026
#श्रीraj4Nation
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#RoyalChoudhry 
#Samaaj_Ka_KarYkarta