कुछ दुआयें लिये कुछ अदायें लिये, रोज चलती हूँ मैं कुछ आशायें लिये। है सफ़र मेरा ऐसा जिसकी इतिश्री नही, जिसमे जीवन दिखे वो फ़जायें लिये। रोज चलती हूँ मैं कुछ आशायें लिये कई बार गिरती हूँ मैं फिर भी हारी नहीं, पल पल रोयें जो वो मुझको बीमारी नहीं। हौंसले नग से,सिंहनी दहाड़े लिये रोज चलती हूँ मैं कुछ आशायें लिये।। Hope by @Prati... hope by prati...