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इक मजमा-ए-रंगीं में वो घबराई हुई सी बैठी है अजब ना

इक मजमा-ए-रंगीं में वो घबराई हुई सी
बैठी है अजब नाज़ से शरमाई हुई सी
आँखों में हया लब पे हँसी आई हुई सी

होंटों पे फ़िदा रूह-ए-बहार-ओ-गुल-ओ-नसरीं
आँखों की चमक रू-कश-ए-बज़्म-ए-मह-ओ-परवीं
पैराहन-ए-ज़र-तार में इक पैकर-ए-सीमीं

लहरें सी वो लेता हुआ इक फूल का सेहरा
सहरे में झमकता हुआ इक चाँद सा चेहरा
इक रंग सा रुख़ पर कभी हल्का कभी गहरा

हर साँस में एहसास-ए-फ़रावाँ की कहानी
ख़ामोशी-ए-महबूब में इक सैल-ए-मआनी
जज़्बात के तूफ़ाँ में है दोशीज़ा जवानी

फ़ितरत नए जज़्बात के दर खोल रही है
मीज़ान-ए-जवानी में उसे तौल रही है
लब साकित ओ सामित हैं नज़र बोल रही है

सरशार निगाहों में हया झूम रही है
हैं रक़्स में अफ़्लाक ज़मीं घूम रही है
शाइर की वफ़ा बढ़ के क़दम चूम रही है

ऐ तू कि तिरे दम से मिरी ज़मज़मा-ख़्वानी
हो तुझ को मुबारक ये तिरी नूर-जहानी
अफ़्कार से महफ़ूज़ रहे तेरी जवानी

छलके तिरी आँखों से शराब और ज़ियादा
महकें तिरे आरिज़ के गुलाब और ज़ियादा
अल्लाह करे ज़ोर-ए-शबाब और ज़ियादा

©Jashvant
  #Gulaab# उनकी सालगिरह का जश्न  NAZAR Satyaprem Upadhyay Nîkîtã Guptā Neha verma Dil Ki Talash
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Jashvant

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#Gulaab# उनकी सालगिरह का जश्न @NAZAR @Satyaprem Upadhyay @Nîkîtã Guptā @Neha verma Dil Ki Talash #Life

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