उदास होना कोई नहीं चाहता फिर भी कभी-कभी हो जातें है । बैठें बैठे सोचना आदत में नहीं फिर भी कभी-कभी सपनों में खों जाते है । कामकाज तो बहुत है पर थोड़ा समय यूहीं गंवा देते है । पानी से फसल को सींचते हुये थोड़ा यूहीं बहा देते है । रोना तो कोई नहीं चाहता फिर भी सुखं में या दुःख के आँसु निकल आते है । कितना ही सम्भाल कर रखों अपने दिल् के जज्बातो को समय कीं ठोकर में बिखर जाते है ।। अ