ना अब पहले सी बाते हैं ना अब वो पहले सी आहट है ना कहीं चैन मिलता है दिल को ना चेहरे पर वो मुस्कुराहट है कुछ सहमी-सहमी सी ख्वाहिशे हैं कुछ दुनियादारी की मिलावट है अब ना धुन वो बजती है अब ना हवाओं में वो सरसराहट है ना जाने कैसा ये मंज़र है ना जाने कैसी ये कड़वाहट है दूर तक फैला दुनिया का मेला है फिर भी उनसे मिलने की छटपटाहट है रचना विषय - ' आहट तेरी ' #हिन्दी_काव्य_कोश ✨पंक्तियों की कोई सीमा नहीं #yqbaba #tmkosh 🎯 collab करने के बाद विषय के comment में Done लिखें। 🎯 Done न लिखा जाने पर उस रचना को प्रतियोगिता से बाहर समझा जायेगा। 🎯रचना चुनी जाने के बाद दुसरे दिन के विषय पर रचना लिखी जानी चाहिए ताकि सभी रचनाकार आपकी रचनाओं को पढ़ सकें। 🎯 कृपया रात्रि 12:00 am तक अपनी रचनाएँ भेज दें। समय सीमा अधिक रखने का उद्देश्य उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन है। 🎯 इन सभी रचनाओं में से एक रचना को हिन्दी काव्य कोश टीम द्वारा विजयी 🏅घोषित किया जायेगा परन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि और सभी रचनाएँ अच्छी नहीं हैं।