लाल है चोली ,लाल है सिंदूर ,-2 लाल वो लहू स्त्री की पहचान , मान उसका समान, तो -2 फिर -2 क्यों आज मेरे अंग से निकला ये लाल ही बना अब मेरे लिये ही अभीशाप .... माँ मेरी मुझ जो कल तक थी समझती लाल की कहानी अपनी जबानी -2 आज न जाने क्यों वो ही मुझको सबके सामने चुप करती .. कल तक कहती थी लाल रंग ही हर माँ ओर बेटी का सम्मान श्रगांर ...तो क्यों आज यही लाल रंग करवाता है मेरा अपमान...-2 माँ क्या मुझे वो सब थी झूठ बताती -2 क्योकि ये लाल रगं तो ना बना मेरी पहचान, ना मान ,ओर समान, ये तो बस बना मेरा अपमान-2 dhohra lal rang