रातें.... कल भी काली ठहरी थीं l कल भी बातें बहरी थीं l कल भी मन टूटा था l कल भी कोई छूटा था l फिर क्या नयी बात है आज l कल भी तो मन तेरा रूठा था l जीवन तो है बहती धारा बहती है तो बहने दे तू काली घटाओं संग कभी चमकते सितारों संग कभी महकते फ़िज़ाओं संग कभी बहते हवाओं संग जीता जा बस जीता जाl जीने से पहले मरना क्या l ©Roshani Thakur कल भी