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वो हालात से बेबस हैं, वक़्त की मार से लाचार हैं..

वो हालात से बेबस हैं, वक़्त की मार से 
लाचार हैं...
मजदूरी शोंक नही मासूमो का, पेट में आग ओर घर पर माँ बिमार हे


-पंकज कातीया अब बच्चपन कौन बचाए गा.......
वो हालात से बेबस हैं, वक़्त की मार से 
लाचार हैं...
मजदूरी शोंक नही मासूमो का, पेट में आग ओर घर पर माँ बिमार हे


-पंकज कातीया अब बच्चपन कौन बचाए गा.......