लिखने बैठती हूं हे गिरिधर ये सांसारिक विषय ना जाने क्यों एक तेरा ही हम कागज़ पर नाम लिख जाते हैं। खिलखिलाकर हसना चाहती हूं, इस दुनिया के सुखों में, ना जानें क्यों अकस्मात नयनों से आंसू छलछला जाते हैं। __Satyprabha __My Life💕✍ 🍀🌼!! जय श्री हरी!!🌼🍀 #love#life 🍀🌼jai shri hari 🌼🍀