ना मैं शायर हूँ ,ना कोई कवि | ना मैं गालिब हूँ ,ना कोई गुलजार | कभी चलते चलते मिल जाते हैं हमे प्यार भरे अल्फाज़ और , कभी मिल जाते हैं टूटे हुए सपनों के दर्द भरे अल्फ़ाज़| हमारा तो काम हैं साथ चलने का , चाहे प्यार भरे अल्फाज़ हो या दुख भरे या फिर हो मौसमऔर ऋतुएं खास | मिलेंगें नहीं जब तक ,साथ चलेंगे नहीं जब तक " कागज़ और कलम" ना तो कलम खली होगी ना ही भरेगा कागज़ | जिंदगी भी कलम -कागज़ ही हैं ,कभी हम इसे प्यार से और कभी खली करते हैहै दुखों के अंगार से हँसते रहें ,मुस्कुरातें रहे ,जिंदगी की रफ्तार को कागज़ कलम की तरह चलते रहें | "शुक्रिया " हिमशिविका माहर्षि #Adhoore #ek #duje #ke #bina