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रावण का होना समय-समय पर समाज में राम के स्वरूप की

रावण का होना समय-समय पर समाज में
राम के स्वरूप की प्रतिष्ठा कराता रहता है।
बिना कंस या शिशुपाल के कृष्ण की प्रतिष्ठा
केवल रास से तो नहीं हो सकती थी।
कंस तो वास्तव में कृष्ण को
प्रकाशित करने के लिए पैदा हुआ था।
तभी लोगों का ध्यान
कृष्ण की ओर गया। सुनो.... तुम कुछ !💕🙋
:
राम के साथ लक्ष्मण, भरत आदि गुणवान शक्तियों का समूह रहता है। रावण के साथ मन्दोदरी भी हो सकती है, तो सूर्पणखां भी हो सकती है। मन्दोदरी उसे संयम पर टिके रहने को प्रेरित करेगी। सूर्पणखां आसक्ति भाव का पर्याय है। वह किसी की पत्नी बन जाए तो? सीता को राम पर दया नहीं आती, न स्वयं कभी उनकी आज्ञा का उल्लंघन करती है। हर व्यक्ति के साथ यह माया भाव रहता है। सब लोग मिलकर व्यक्ति को उसके व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब दिखाते जाते हैं।
:
#komal sharma
#shweta mishra
#indu sharma
#priyanka saraswat
रावण का होना समय-समय पर समाज में
राम के स्वरूप की प्रतिष्ठा कराता रहता है।
बिना कंस या शिशुपाल के कृष्ण की प्रतिष्ठा
केवल रास से तो नहीं हो सकती थी।
कंस तो वास्तव में कृष्ण को
प्रकाशित करने के लिए पैदा हुआ था।
तभी लोगों का ध्यान
कृष्ण की ओर गया। सुनो.... तुम कुछ !💕🙋
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राम के साथ लक्ष्मण, भरत आदि गुणवान शक्तियों का समूह रहता है। रावण के साथ मन्दोदरी भी हो सकती है, तो सूर्पणखां भी हो सकती है। मन्दोदरी उसे संयम पर टिके रहने को प्रेरित करेगी। सूर्पणखां आसक्ति भाव का पर्याय है। वह किसी की पत्नी बन जाए तो? सीता को राम पर दया नहीं आती, न स्वयं कभी उनकी आज्ञा का उल्लंघन करती है। हर व्यक्ति के साथ यह माया भाव रहता है। सब लोग मिलकर व्यक्ति को उसके व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब दिखाते जाते हैं।
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